Shiv chaisa - An Overview

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥

लिङ्गाष्टकम्

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करें

देवन सब मिलि Shiv chaisa तुमहिं जुहारी ॥ तुरत षडानन आप पठायउ ।

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

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